Goat Farming : बकरियों की उपयोगी नस्लें और उनकी विशेषताएँ

Goat Farming : हमारे देश में कई प्रकार की बकरियां पाई जाती हैं और जिनका उपयोग लोग सदियों से दूध और मांस के लिए करते आ रहे हैं। भारत के अलग-अलग राज्यों में बकरियों की कई अलग-अलग नस्लें पाई जाती हैं,जो अपनी नस्ल में खास होती हैं। मन में यह प्रश्न भी आ सकता है कि बकरियों की विभिन्न नस्लों की क्या विशेषताएँ होती हैं।

Goat Farming

Goat Farming : बकरियों की उपयोगी नस्लें और उनकी विशेषताएँ
बकरियों की उपयोगी नस्लें और उनकी विशेषताएँ

अगर आप बकरियों की नस्ल और उनकी विशेषताओं के बारे में पूरी जानकारी हिंदी में पूरी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो इस समय आप सही जगह पर हैं। सबसे पहले मैं आपको मुख्य रूप से बकरी पालन में लोगों को पसंद आने वाली बकरियों के बारे में बताना चाहता हूं। मैं आपको पिछले आर्टिकल में बकरी पालन व्यवसाय कैसे शुरू करें इसके बारे में बताने जा रहा हूं,मैंने आपको पूरी विधि बताई थी,आज मैं आपको बकरियों की नस्ल के बारे में बताने जा रहा हूं कि किस नस्ल की बकरी पालने ( Goat Farming ) से आप अपना व्यवसाय बढ़ा सकते हैं अपने खेत और अधिकतम लाभ कमा सकते हैं.

भारतीय बकरियों की उपयोगी नस्लें Goat Farming

1. सुरती नस्ल 

सुरती नस्ल की बकरियां गुजरात के सूरत और बड़ौदा इलाकों में ज्यादातर पाई जाने वाली नस्लों में से एक हैं,ये सूरत में ज्यादा पाई जाती हैं, इसलिए इनका नाम सुरती रखा गया है। उनके कान और बाल छोटे होते हैं,उनका रंग सफेद होता है और उनके शरीर के बाल चमकदार होते हैं। भारत में इनकी आबादी बहुत कम है.ये कुछ चुनिंदा राज्यों में पाए जाते हैं।

सुरती नस्ल की बकरियां बहुत लोकप्रिय हैं क्योंकि इनकी दूध देने की क्षमता अन्य बकरियों से बेहतर होती है,ज्यादातर लोग इन्हें दूध के लिए पालते हैं,यह बकरी रोजाना कम से कम 2 किलो दूध देती है,इनकी चलने की क्षमता बहुत कम होती है। यह ज्यादा दूर तक चल नहीं सकती इसलिए लोग इन्हें ज्यादातर अपने घर में ही रखते हैं,बकरी को पालना ( Goat Farming ) बहुत आसान है,यह छोटी जगह में भी पलती है।

  • आकार      औसत              बकरी
  • शरीर का वजन  ( किग्रा )  28 – 32,30 – 35
  • शरीर की लंबाई ( सेमी ) 60 – 65
  • छाती का घेरा ( सेमी ) 65.5,70.5

2. सिरोही नस्ल

ये कुछ विशेष प्रकार की बकरियां हैं जो मुख्य रूप से राजस्थान के सिरोही जिले और गुजरात के पालमपुर में पाई जाती हैं। इन बकरियों को मुख्यतः दूध के लिए पाला जाता है,लेकिन इन बकरियों का ( Goat Farming ) उपयोग मांस के लिए भी किया जाता है। बकरियों की गर्दन के नीचे एक शिखा होती है,जिससे इस नस्ल की पहचान होती है।

बकरी का रंग मुख्य रूप से भूरा होता है जिस पर हल्के या गहरे भूरे रंग के धब्बे होते हैं,बहुत कम बकरियां पूरी तरह से सफेद होती हैं,और इस बकरी के शरीर पर बहुत सारे बाल होते हैं,और इसके बाल हर साल 3 सेमी बढ़ते हैं। सिरोही नस्ल की बकरियां साल में औसतन दो बार बच्चे देती हैं,जन्म के समय इनका वजन लगभग 3 किलोग्राम होता है,यह बकरी 30% मामलों में एक ही बच्चे को जन्म देती है,जबकि 70% मामलों में यह जुड़वा होती है,दूध देने की क्षमता होती है थोड़ा कम। केवल आधा लीटर दूध देती है और 120 दिन में 65 लीटर दूध देती है।

  • आकार  बकरी
  • शरीर का वजन ( किलो ) 60 –  50
  • शरीर की लंबाई ( सेमी ) 70 – 60
  • छाती का घेरा ( सेमी ) 75 – 65

3. भृंग नस्ल

बीटल नस्ल की बकरियां हमारे भारत और कुछ एशियाई देशों में बहुत लोकप्रिय बकरी की नस्ल मानी जाती हैं। बीटल बकरियां हरियाणा और पंजाब के गुरदासपुर,अमृतसर और फिरोजपुर जिलों में पाई जाती हैं। बीटल बकरियां मुख्यतः अन्य रंगों की होती हैं। काले (80%) या भूरे (20%) होते हैं और उनके शरीर पर सफेद या सुनहरे रंग के छोटे-छोटे धब्बे होते हैं ये बकरियां दिखने में जमुनापारी बकरियों की तरह होती हैं,लेकिन ये जमुनापारी बकरियों से अलग होती हैं। इनके शरीर का वजन और ऊंचाई जमुनापारी बकरियों से कम होती है। इनके कान लंबे और थोड़े चौड़े,नीचे की ओर लटके हुए होते हैं। किनारे मुँडे हुए हैं

बीटल बकरियों का उपयोग अधिकतर दूध और मांस के लिए किया जाता है। इनकी दूध देने की क्षमता बहुत अच्छी होती है.ये रोजाना 1.5 से 2 किलो तक दूध देते हैं.ये बकरियां साल में एक बार बच्चे देती हैं और इनके बच्चे का वजन 2 से 3 किलोग्राम होता है,यह 41% मामलों में एक बार में ही बच्चे पैदा करती हैं,50% मामले में जुड़वाँ और 9% तीन बच्चे पैदा करती हैं। बीटल बकरियां दाढ़ी वाली होती हैं और बकरियां दाढ़ी वाली नहीं होती हैं,यह अन्य बकरियों की तुलना में किसी भी मौसम में जीवित रह सकती हैं,यह बकरी पालन ( Goat Farming ) व्यवसाय के लिए अच्छी मानी जाती हैं।

  • आकार  बकरी
  • शरीर का वजन ( किलो ) 55 – 65 , 35 – 45
  • शरीर की लंबाई ( सेमी ) 80 – 72
  • छाती का घेरा ( सेमी ) 78.5  , 70.5

4. जमुनापारी नस्ल

जमुनापारी बकरियों की एक अच्छी नस्ल मानी जाती है,इस बकरी का नाम यमुना नदी से जुड़ा हुआ है और बकरी की यह नस्ल ज्यादातर यूपी में जमुना,गंगा और चंबल के क्षेत्र में पाई जाती है और यह भारत में सबसे बड़ी बकरी की नस्ल में से एक है। एक तो उनके शरीर की संरचना सरल होती है और स्तनों की लंबाई अधिक होती है। इस बकरी के सींग का आकार छोटा होता है,इसके कान 8 से 9 ( इंच ) इंच लंबे और लटके हुए होते हैं,इसके जोड़े के पीछे बहुत लंबे लंबे बाल होते हैं,इसके वयस्क नर का वजन लगभग 60-80 किलोग्राम और मादा का वजन 40- होता है।

बकरी ( Goat Farming ) की इस नस्ल को लोग मांस और दूध के लिए पालते हैं। जमनापारी बकरी की दूध देने की क्षमता भी बहुत अच्छी होती है.यह प्रतिदिन 2 से 3 लीटर दूध दे सकती है। बकरी की यह नस्ल लंबी और सफेद रंग की होती है।

  • आकार  बकरी
  • शरीर का वजन ( किग्रा ) 75 – 90, 50- 70
  • शरीर की लंबाई ( सेमी ) 76 – 70
  • छाती का घेरा ( सेमी ) 76 – 65

5. उस्मानाबादी नस्ल

उस्मानाबादी बकरी की नस्ल ज्यादातर तेलंगाना,कर्नाटक और महाराष्ट्र के कुछ राज्यों,लातूर तुलजापुर में पाई जाती है। ये बकरियां आकार में बड़ी होती हैं,जिनका वजन नर के लिए 30-40 किलो और मादा के लिए 25-30 किलो,मादा के लिए 50 किलो होता है। बकरियों में सींग नहीं पाए जाते हैं,इन बकरियों में दूध का उत्पादन कम होता है,इन्हें केवल मांस के लिए पाला जाता है,इनका रंग 70% काला और 30% सफेद होता है,ये भूरे रंग की होती हैं,इनके शरीर का आकार बड़ा होता है। हैं और जोड़े लंबे हैं

इस नस्ल की बकरियां 16 से 19 महीने की उम्र में बच्चा देती हैं। इसे साल में 2 से 3 बार बच्चों को दिया जा सकता है। उस्मानाबादी बकरियों का उपयोग अधिकतर मांस और दूध के लिए किया जाता है। बकरी की लोकप्रिय नस्ल में से एक ये बकरियां एक दिन में कम से कम 1 से 1.5 लीटर दूध देती हैं और शुष्क परिस्थितियों में भी आराम से रह सकती हैं,इनका मांस बहुत स्वादिष्ट होता है और इस नस्ल की बकरियों की मांग बहुत अधिक है। इस बकरी की कीमत 4 से 6 हजार तक होती है,आप अपने बकरी फार्म ( Goat Farming ) में इसका पालन करके इस बकरी से अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

  • आकार बकरी
  • शरीर का वजन ( किलो ) 35 – 38 , 30- 35
  • शरीर की लंबाई ( सेमी ) 65 – 68
  • छाती का घेरा ( सेमी ) 71.5 , 68.5

6. बारबरी नस्ल

बारबरी नस्ल एक डेयरी प्रकार की बकरी है जिसकी उत्पत्ति अफ्रीका के सोमाली भूमि बारबेरा शहर में हुई थी। इस नस्ल की बकरियां भारत में लाई गईं जो अब यूपी के आगरा,मथुरा,इटावा,अलीगढ़ और राजस्थान के जिलों के आसपास बहुतायत में पाई जाती हैं। यह नस्ल बकरी पालन ( Goat Farming ) के लिए भी अच्छी मानी जाती है,ऐसी बकरियों का शरीर छोटा होता है और छोटे रोम पाए जाते हैं,इनके पैर और कान भी छोटे होते हैं और कान ऊपर की ओर उठे हुए होते हैं। इनके शरीर का रंग अधिकतर सफेद तथा भूरे धब्बे पाए जाते हैं,इनके वयस्क नर का वजन 30-40 किलोग्राम तथा मादा का वजन 20-30 किलोग्राम होता है,ऐसी बकरियां एक प्रजनन में दो या दो से अधिक बच्चों को जन्म देती हैं।

इन बकरियों की प्रजनन क्षमता बहुत अच्छी होती है,ज्यादातर जुड़वाँ बच्चे,यह तीन बच्चों को जन्म देती है,यह एक साल में दो बच्चों को जन्म देती है,यह 20% मामलों में एकल बच्चों को जन्म देती है,65% मामलों में जुड़वाँ और 15% मामलों में तीन बच्चों को जन्म देती है। यह बकरी की एक बौनी नस्ल है जिसे हम गाय की तरह अपने घर में पाल सकते हैं और इसलिए यह आमतौर पर शहरों में पाई जाती है। लोग इन बकरियों का उपयोग मांस और दूध के लिए करते हैं। इस बकरी का मांस बहुत स्वादिष्ट होता है और यह प्रतिदिन औसतन 1 किलो दूध देता है।

  • आकार बकरी
  • शरीर का वजन ( किलो ) 25 – 40 , 20 – 30
  • शरीर की लंबाई ( सेमी ) 65.5 , 50.5

7. झकरान नस्ल

झकरण नस्ल की बकरियां राजस्थान के अलवर जिले के आसपास के गांवों में पाई जाती हैं। इस नस्ल की बकरियां बहुत बड़ी होती हैं और इनका उपयोग डेयरी फार्मिंग ( Goat Farming ) के लिए भी किया जाता है। ये बकरियां काली होती हैं और इनके लंबे कान होते हैं और शरीर पर सफेद धब्बे होते हैं।इस नस्ल की बकरियां देखने में बिल्कुल बीटल बकरियों के समान होती हैं,लेकिन इनकी नस्ल बीटल से बड़ी होती है,इन बकरियों का उपयोग लोग दूध उत्पादन के लिए करते हैं।

यह प्रतिदिन 2 से 3 लीटर दूध देती है और इन बकरियों का मांस और खाल भी बहुत लोकप्रिय है। ये बकरियां साल में एक बार बच्चे देती हैं। इनके बच्चे का वजन 1.5 से 2 किलोग्राम तक होता है और ये ज्यादातर 70% अकेले बच्चों को जन्म देते हैं। 30% मामलों में जुड़वाँ बच्चे हो सकते हैं

  • आकार  बकरी
  • शरीर का वजन ( किलो ) 50 – 55 , 40- 45
  • शरीर की लंबाई ( सेमी ) 85 – 78
  • छाती का घेरा ( सेमी ) 70.5  , 65.5

8. बोअर नस्ल

बकरी की बोअर नस्ल को मांस उत्पादन के लिए 1900 के दशक में दक्षिण अफ्रीका में विकसित किया गया था। अफ़्रीकी भाषा में “बोअर” शब्द का अर्थ किसान होता है। इस बकरी का उपयोग लोग दूध और मांस के लिए करते हैं। इस बकरे का इस्तेमाल पूरी दुनिया में मांस के लिए किया जाता है.इन बकरियों में बढ़ने की काफी क्षमता होती है,यह तीन महीने में 30 से 35 किलो की हो जाती है और सबसे बड़ी बात यह है कि इनमें हर मौसम के अनुकूल ढलने और बीमारी से लड़ने की क्षमता होती है।

बोअर बकरियां ज्यादातर सफेद रंग की होती हैं और उनका सिर भूरा होता है और उनके लंबे लटकते हुए कान होते हैं। इसकी वृद्धि करने और बच्चे देने की क्षमता अन्य सभी बकरियों से भिन्न होती है। बोअर बकरियों का उपयोग अधिकतर प्रजनन के लिए किया जाता है। ये बकरे बहुत महंगे हैं.यह भारत में बहुत उपयोगी है,कुछ राज्यों जैसे तमिल नायडू,पुणे,अजमेर.यूपी में,राजस्थान में ज्यादा नहीं पाया जाता है,यदि आप अपने बकरी पालन ( Goat Farming ) के लिए बोअर बकरी का उपयोग करते हैं,तो आपको इससे अधिकतम लाभ मिलेगा। अधिक कार्य समय में लाभ कमाया जा सकता है

  • आकार बकरी
  • शरीर का वजन ( किलो ) 100 – 120 , 80 – 90
  • शरीर की लंबाई ( सेमी ) 96 , 75
  • छाती का घेरा ( सेमी ) 90 – 80

9. सोजत नस्ल

सोजत नस्ल की बकरियां राजस्थान के छोटे से शहर सोजत में पाई जाती हैं,यह पाली मारवाड़ और अजमेर रोड के बीच में पड़ता है और पूरे रास्ते में यह सोजत बकरी पाई जाती है, 4 बड़े शहर हैं जहां आपको इस नस्ल की बकरियां मिल जाएंगी,वे सोजत,फलोदी,पीपाड़,जोधपुर हैं पहले लोग बकरी की इस नस्ल का इस्तेमाल दूध के लिए करते थे,लेकिन आज लोग इसका इस्तेमाल मांस के लिए भी करते हैं। सोजत बकरी की खास बात यह है कि ज्यादातर बकरियों के सींग नहीं होते,बकरी का रंग सफेद होता है। इनके शरीर में छोटे-छोटे काले धब्बे होते हैं इनके कान 8 से 10 इंच लंबे होते हैं।

इस नस्ल की बकरियों का उपयोग बकरी फार्म के लिए किया जाता है,जो लोग बकरी पालने ( Goat Farming ) की सोच रहे हैं उनके लिए इस नस्ल की बकरी बहुत फायदेमंद होगी,यह बहुत खाने योग्य बकरी है और यह 3 महीने में 26 से 30 किलो तक बढ़ सकती है। यह बकरी 15 माह में 2 बार देती है तथा 45% एकल तथा 55% जुड़वाँ बच्चे देती है तथा ये बकरियाँ सभी मौसमों के लिए उपयुक्त हैं। यह बकरी एक दिन में औसतन 1.5 से 2 लीटर दूध देती है.

  • आकार बकरी
  • शरीर का वजन ( किलो ) 55 – 65 , 45 – 55
  • शरीर की लंबाई ( सेमी ) 75 – 70
  • छाती का घेरा ( सेमी ) 74.5 – 70.5

10. ब्लैक बंगाल नस्ल

ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरियां अधिकतर पश्चिम बंगाल,झारखंड,ओडिशा,असम में पाई जाती हैं। इन सभी इलाकों में इस बकरी की मांग काफी ज्यादा है.इस नस्ल की बकरियां अधिकतर काली,भूरी,सफेद एवं धब्बेदार होती हैं। इस नस्ल की बकरियां 5 इंच से बड़ी और आगे की ओर निकली हुई होती हैं। इस नस्ल की बकरियों का शरीर मोटा,छोटा और मोटा होता है। उनके छोटे खड़े कान होते हैं। नर वयस्क का वजन 18-25 और मादा का वजन 15-20 किलोग्राम होता है। ऐसा होता है।

इन बकरियों की खास बात यह है कि इनकी प्रजनन क्षमता बहुत अच्छी होती है,यह 2 साल में 3 बच्चे देती हैं और कुछ बकरियां तो एक साल में 2 और कभी-कभी एक बार में 4 बच्चे भी देती हैं। बकरियां 15 महीने की उम्र में बच्चे देना शुरू कर देती हैं,अच्छी प्रजनन क्षमता के कारण इनकी संख्या अन्य बकरियों की नस्लों से अधिक होती है।

इस नस्ल की बकरियों का मांस भी बहुत स्वादिष्ट होता है और इनकी खाल अन्य सभी बकरियों से बेहतर होती है। लोग इन बकरियों का उपयोग मांस के लिए करते हैं। बकरियों की यह नस्ल बकरी पालन ( Goat Farming ) के लिए बहुत खास है।

  • आकार बकरी
  • शरीर का वजन ( किलो ) 20 – 24 , 16 – 19
  • शरीर की लंबाई ( सेमी ) 65 – 50
  • छाती का घेरा ( सेमी ) 64 – 55

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